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पोज़ीशन ट्रेडिंग क्या है? पोज़ीशन ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान

Created :  Author :  Pooja Category :  , Basics of stock market, Everything about Investing

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पोज़ीशन ट्रेडिंग क्या है?

पोज़ीशन ट्रेडिंग एक ट्रेडिंग रणनीति है जिसमें ट्रेडर थोड़े लंबे समय, आमतौर पर कई सप्ताह या महीने के लिए किसी सिक्योरिटी में पोज़ीशन होल्ड करते हैं। पोज़ीशन ट्रेडिंग का लक्ष्य है शॉर्ट-टर्म में कीमत में उतार-चढ़ाव के बजाय बाज़ार में लॉन्ग-टर्म रुझानों से मुनाफ़ा कमाना। पोज़ीशन ट्रेडर आमतौर पर पोज़ीशन लेने और इससे बाहर निकलने के मौकों की पहचान करने के लिए टेक्निकल एनालिसिस और लॉन्ग-टर्म चार्ट पैटर्न का उपयोग करते हैं। ट्रेडिंग के फैसले लेते समय वे कंपनी की वित्तीय स्थिति और उद्योग के रुझान जैसे मूलभूत कारकों पर भी विचार कर सकते हैं। पोज़ीशन ट्रेडर में आमतौर पर उन ट्रेडर के मुकाबले जोखिम झेलने की क्षमता अधिक होती है जो कम समय-सीमा पर ध्यान केंद्रित करते हैं, क्योंकि वे लंबे समय तक बाज़ार की गतिविधियों के संपर्क में रहते हैं। हालाँकि, वे कीमतों में बड़े उतार-चढ़ाव का लाभ उठा सकते हैं और संभावित रूप से अपने ट्रेड पर अधिक मुनाफ़ा कमा सकते हैं।

पोज़ीशन ट्रेडिंग के फायदे

कम तनाव: पोज़ीशन ट्रेडिंग में लंबे समय तक ट्रेड को होल्ड करना शामिल है, जिसका मतलब है कि ट्रेडर लगातार बाज़ार पर नज़र नहीं रख रहा है और उसे तनाव कम हो सकता है। ज़्यादा मुनाफे की संभावना: पोज़ीशन ट्रेड लॉन्ग-टर्म के लिए किया जाता है, इसलिए शॉर्ट-टर्म ट्रेड के मुकाबले ज़्यादा मुनाफ़े की संभावना अधिक होती है। समय का लचीलापन: पोज़ीशन ट्रेडिंग ट्रेड के प्रबंधन के लिए ज़रूरी समय लिहाज़ से लचीलापन प्रदान करती है। यह उन ट्रेडर के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है जो व्यस्त रहते हैं या जो कुछ और काम करते हैं। कम ट्रांजैक्शन लागत: पोज़ीशन ट्रेड लॉन्ग-टर्म के लिए होल्ड किये जाते हैं, इसलिए इनका ट्रेड बार-बार नहीं होता है, जिसका मतलब है कि ट्रेडर की लेनदेन लागत कम होगी। बाज़ार के उतार-चढ़ाव से सुरक्षित रहने की क्षमता: पोज़ीशन ट्रेडर बाज़ार में उतार-चढ़ाव के बावजूद ट्रेड को बनाए रखने की क्षमता होती है, जिससे उन्हें इन उतार-चढ़ाव से सुरक्षित रहने और संभावित रूप से लॉन्ग-टर्म में लाभ कमाने में मदद मिलती है।

पोज़ीशन ट्रेडिंग के नुकसान

सीमित मौके: पोज़ीशन ट्रेडर के पास पूरे साल में ट्रेड कुछ मौके होते हैं, क्योंकि वे शॉर्ट-टर्म के उतार-चढ़ाव के बजाय लॉन्ग-टर्म रुझानों की तलाश कर रहे होते हैं। इससे निवेश की दूसरी रणनीतियों के मुकाबले उत्साह और ट्रेडिंग में कमी हो सकती है। लॉन्ग-टर्म रुझानों की भविष्यवाणी करना मुश्किल: बाज़ार में लॉन्ग-टर्म के रुझानों की सटीक भविष्यवाणी करना चुनौतीपूर्ण है, जिससे पोज़ीशन ट्रेडर्स के लिए अधिक अनिश्चितता और जोखिम पैदा हो सकता है। यदि बाज़ार में उतार-चढ़ाव हो तो यह बात विशेष रूप से सच होती है, जहाँ रुझान तेजी से बदलते होते हैं। धीमा रिटर्न: पोज़ीशन ट्रेडर को ट्रेडिंग के लिए दूसरी रणनीतियों का उपयोग करने वाले लोगों की तरह तेज़ी से रिटर्न नहीं मिल सकता, क्योंकि वे लंबे समय तक पोज़ीशन होल्ड करते हैं। यह उन लोगों के लिए निराशाजनक हो सकता है जो फटाफट मुनाफ़ा कमाने की तलाश में हैं। ट्रांजैक्शन की ऊँची लागत: लंबे समय तक पोज़ीशन होल्ड करने से लेनदेन की लागत अधिक हो सकती है, क्योंकि ट्रेडर को ट्रेडिंग फीस और कमीशन में अधिक भुगतान करना होगा। बाज़ार की हलचल का अधिक जोखिम: पोज़ीशन ट्रेडर पर बाज़ार की हलचल और ख़बरों का अधिक असर होता है जो उनकी पोज़ीशन को प्रभावित कर सकते हैं। इससे अन्य रणनीतियों के मुकाबले अप्रत्याशित और ज़्यादा जोखिम हो सकता है।

पोज़ीशन ट्रेडिंग रणनीति क्या है?

पोज़ीशन ट्रेडिंग एक लॉन्ग-टर्म निवेश रणनीति है जिसमें स्टॉक या अन्य संपत्ति को अधिक समय के लिए, आमतौर पर कई महीनों या सालों तक होल्ड करना शामिल होता है। यह तरीका इस भरोसे पर आधारित है कि अंडरलायिंग परिसंपत्ति लॉन्ग-टर्म में वृद्धि दर्ज करेगी और समय के साथ प्रॉफिट प्रदान करेगी।

पोज़ीशन ट्रेडिंग रणनीति के कुछ प्रमुख तत्व यहाँ दिए गए हैं:

रुझान पहचानें: पहला कदम है बाज़ार में या किसी विशेष परिसंपत्ति में लॉन्ग-टर्म रुझान की पहचान करना है। यह बढ़ती या गिरती कीमतों की रुझान हो सकता है, या यह आर्थिक या बाज़ार के हालात का रुझान हो सकता है। निवेश करने और इससे निकलना तय करें: रुझान की पहचान के बाद, ट्रेडर को बाज़ार में प्रवेश करने और बाहर निकलने का सबसे सही समय निर्धारित करना चाहिए। इसमें सपोर्ट और रेज़िस्टेंस लेवल की पहचान करने के लिए मूविंग एवरेज या ट्रेंड लाइन जैसे टेक्निकल एनालिसिस जैसे तरीकों का उपयोग करना शामिल हो सकता है। स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करें: जोखिम को कम करने के लिए, पोज़ीशन ट्रेडर्स को स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना चाहिए ताकि यदि बाज़ार उनके खिलाफ चलता है तो उनकी परिसंपत्ति को ख़ुद-ब-ख़ुद बेचा जा सके। यह संभावित नुकसान को कम करने और बाज़ार में अचानक होने वाले उतार-चढ़ाव से बचाने में मदद करता है। निगरानी और समीक्षा: पोज़ीशन ट्रेडर को नियमित रूप से अपने निवेश की समीक्षा करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे अभी भी अंडरलायिंग रुझान के साथ चल रहे हैं और उनके स्टॉप-लॉस ऑर्डर अभी भी उपयुक्त हैं। यदि रुझान बदलता है या बाज़ार के हालात बदलते हैं, तो ट्रेडर को इसके अनुसार अपनी रणनीति बदलनी पड़ सकती है।

ट्रेड बनाम पोज़ीशन

ट्रेड का मतलब है विशिष्ट ट्रांजैक्शन जिसमें कोई फिनांशियल इंस्ट्रूमेंट खरीदा या बेचा जाता है। यह एक बार होता है जो ट्रांजैक्शन के निपटान के बाद पूरा होता है। पोज़ीशन का मतलब है किसी फिनांशियल इंस्ट्रूमेंट की समग्र होल्डिंग। यह है किसी व्यक्ति या संस्था के पास शेयर, कॉन्ट्रैक्ट या इंस्ट्रूमेंट की अन्य यूनिट की कुल संख्या। एक पोज़ीशन में कई ट्रेड शामिल हो सकते हैं और इसे लॉन्ग-टर्म के लिए रखा जा सकता है।

पोज़ीशन ट्रेडिंग बनाम स्विंग ट्रेडिंग

पोज़ीशन ट्रेडिंग में बाज़ार में लॉन्ग-टर्म के रुझानों का लाभ उठाने के लिए लॉन्ग-टर्म, अक्सर हफ्तों या महीनों तक ट्रेड करना शामिल होता है। यह रणनीति इस विचार पर आधारित है कि बाज़ार अंततः उस दिशा में आगे बढ़ेगा जिसकी आपने भविष्यवाणी की है और यह कि आप ट्रेड को लंबी अवधि के लिए होल्ड कर ज़यादातर मूव का फायदा उठा सकेंगे। दूसरी ओर, स्विंग ट्रेडिंग में कम समय के लिए, आम तौर पर केवल कुछ दिन या कुछ घंटे के लिए भी ट्रेड किया जाता है। यह रणनीति बाज़ार में शॉर्ट-टर्म कीमत में उतार-चढ़ाव और रुझानों के फायदा उठाने से जुड़ी है। स्विंग ट्रेडर आमतौर पर मौक़ा पहचान कर और ट्रेड करने और निवेश से बाहर निकलने के बारे में फैसले लेने के लिए टेक्निकल एनालिसिस और अन्य संकेतक का उपयोग करते हैं। पोज़ीशन ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग दोनों ही सफल रणनीतियाँ हो सकती हैं, और कौन सी आपके लिए सही है यह आपकी ट्रेडिंग स्टाइल और टार्गेट पर निर्भर करेगा। कुछ ट्रेडर पोज़ीशन ट्रेडिंग का लॉन्ग-टर्म परिप्रेक्ष्य पसंद करते हैं, जबकि अन्य को स्विंग ट्रेडिंग का अधिक एक्टिव रवैया पसंद है। आखिरकार, एक ट्रेडर के रूप में सबसे अच्छी रणनीति आपकी जोखिम सहने की क्षमता, पूँजी और अनुभव पर निर्भर करेगी।

पोज़ीशन ट्रेडर की क्या विशेषताएं हैं?

लॉन्ग-टर्म परिप्रेक्ष्य: पोज़ीशन ट्रेडर आमतौर पर अपने ट्रेड को लंबे समय तक, अक्सर हफ्तों या महीनों के लिए होल्ड करते हैं। वे शॉर्ट-टर्म प्राइस में उतार-चढ़ाव से परेशान नहीं होते हैं, बल्कि बाज़ार के समग्र रुझान पर ध्यान केंद्रित करते हैं। जोखिम प्रबंधन: पोज़ीशन ट्रेडर आमतौर पर अन्य किस्म के ट्रेडर के मुकाबले जोखिम से दूर रहना अधिक पसंद करते हैं, और संभावित नुकसान को कम करने के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर जैसी तकनीकों का उपयोग कर सकते हैं। फंडामेंटल एनालिसिस: ट्रेडिंग के फैसले लेने के लिए पोज़ीशन ट्रेडर अक्सर फंडामेंटल एनालिसिस पर भरोसा करते हैं। इसमें अंडरलायिंग आर्थिक और वित्तीय कारकों का मूल्यांकन करना शामिल है जो किसी विशेष परिसंपत्ति की कीमत को प्रभावित कर सकते हैं। धैर्य: पोज़ीशन ट्रेडर्स को धैर्य और अनुशासित रहना होता है, क्योंकि उनके ट्रेड का भुगतान शुरू होने से पहले उन्हें लंबे समय तक इंतज़ार करना पड़ सकता है। लचीलापन: पोज़ीशन ट्रेडर का आमतौर पर लॉन्ग-टर्म परिप्रेक्ष्य होता है, उन्हें लचीला और बाज़ार के बदलते हालात के लिए अनुकूल भी होना चाहिए। इसमें नए मौकों का लाभ उठाने के लिए अपनी ट्रेडिंग रणनीतियों को समायोजित करना या उनकी पोज़ीशन को समायोजित करना शामिल हो सकता है।