पेनी स्टॉक ऐसे स्टॉक हैं जो बहुत कम कीमतों पर ट्रेड होते हैं, जिनका बाज़ार पूँजीकरण कम होता है, और ज्यादातर बहुत लिक्विड नहीं (इलिक्विड) होते हैं। ज़्यादातर निवेशकों को इन शेयर (पेनी स्टॉक) की जानकारी नहीं होती है और निवेशक उनसे दूर रहते हैं क्योंकि उनके फंडामेंटल और कारोबार के बारे में जानकारी या तो विश्वसनीय नहीं होती या फिर उपलब्ध ही नहीं होती है। हालांकि, उन्हें कुछ ट्रेडिंग सेशन में मल्टी-बैगर रिटर्न के लिए भी जाना जाता है।
पेनी स्टॉक ज्यादातर बहुत लिक्विड नहीं (इलिक्विड) होते हैं, जिसका मतलब है कि बहुत कम मात्रा में ट्रेड किया जाता है, कभी-कभी केवल कुछ ऑर्डर एक्सचेंज पर सर्किट लिमिट तक पहुँच सकते हैं। कई दिनों तक सर्किट पर पहुँचने पर ये शेयर ज़्यादातर अधिक रिटर्न देते हैं। हालाँकि सर्किट पर पहुँचने की इस अवधि के दौरान ट्रेडिंग वॉल्यूम नहीं होता है, या तो उस स्टॉक के इर्द-गिर्द कोई कहानी होती है या यह कुछ स्टॉक ऑपरेटरों के हेरफेर का परिणाम हो सकता है जो आम खुदरा निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कृत्रिम रूप से कीमत और मात्रा बढ़ाते हैं और फिर बाद में भागीदारी बढ़ने पर अपनी होल्डिंग बेच देते हैं। अब जब हम समझ गए हैं कि पेनी स्टॉक क्या हैं, आइए देखते हैं कि पेनी स्टॉक को "पेनी" स्टॉक कहते क्यों हैं
पेनी स्टॉक एक वजह से पेनी स्टॉक होते हैं!
पेनी स्टॉक इतनी कम दरों पर ट्रेड करने की एक वजह यह है कि पेनी स्टॉक खरीदने वाले अधिकांश ट्रेडर उनकी परवाह भी नहीं करते हैं और अच्छा रिटर्न मिलते ही बाहर निकलने की कोशिश करते हैं। भारत में पेनी स्टॉक अक्सर एक्सचेंज के रेगुलेशन का पालन नहीं करते हैं और रिपोर्टिंग में पारदर्शी नहीं होते हैं।
यह तभी होता है जब पेनी स्टॉक के बारे में कोई ख़बर या कुछ टर्नअराउंड कहानी होती हैं, तभी उनमें हलचल होती है। सट्टेबाज़ी के कारण ट्रेडिंग की मात्रा और कीमतों में वृद्धि होती है। लेकिन उनमें से बहुत कम ही सही होते हैं या फंडामेंटल के लिहाज़ से मज़बूत होते हैं। किसी भी बुरी ख़बर से उनमें गिरावट आ जाती है।
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भारत में अभी खरीदने लायक सर्वश्रेष्ठ पेनी स्टॉक्स की सूची
जो लोग आम तौर पर पैनी स्टॉक में व्यापार या निवेश करते हैं, वे आम तौर पर खुदरा निवेशकों के निम्न वर्ग होते हैं, जो एक पोर्टफोलियो दृष्टिकोण नहीं रखते हैं और कुछ यादृच्छिक स्रोतों से समाचार या टिप के आधार पर उनमें निवेश करते हैं।
उन्हें लगता है कि कीमत इतनी कम है कि उन्हें ज्यादा नुकसान नहीं होगा लेकिन अगर शेयर अच्छा निकला तो यह उनके निवेश को दोगुना या तिगुना कर सकता है। हालाँकि, निवेशकों को हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि वे भले ही कम मात्रा में निवेश कर रहे हों, लेकिन फिर भी, वे अपनी पूंजी का 100 प्रतिशत खो सकते हैं।
आप हमारे शो द राइट चॉइस विद ओरैकल्स ऑफ दलाल स्ट्रीट के इस एपिसोड से पेनी स्टॉक में निवेश करना सीख सकते हैं।
पेनी स्टॉक खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए
जो लोग आम तौर पर पेनी शेयरों में ट्रेड या निवेश करते हैं, वे निचले वर्ग के खुदरा निवेशक होते हैं जो पोर्टफोलियो को ध्यान में रखकर नहीं बल्कि कहीं से कोई ख़बर या टिप मिलने के आधार पर निवेश करते हैं, यह सोचकर कि कीमत पहले से ही बहुत अधिक गिर गई है और खोने के लिए बहुत कुछ नहीं है लेकिन अगर ख़बर सच हुई तो उनकी पूँजी दोगुनी या तिगुनी हो जाएगी। हालाँकि, निवेशकों को हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि वे भले ही कम मात्रा में निवेश कर रहे हों, लेकिन हो सकता है कि उनकी सारी पूँजी चली जाए।
पेनी स्टॉक के डूबने का जोखिम भी उतना ही अधिक होता है। कंपनी अचानक बंद हो सकती है या फिर मल्टीबैगर रिटर्न देने की संभावना बेहद कम हो सकती है. पेनी स्टॉक में निवेश की जाने वाली पूँजी किसी व्यक्ति के पोर्टफोलियो मूल्य के 2 से 3 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।
पेनी स्टॉक में निवेश करना हमेशा सट्टेबाज़ी जैसा होता है। सबसे पहले, निवेशकों को उनमें निवेश करने से बचना चाहिए और यदि वे कुछ खरीदते हैं तो उसे लॉटरी खरीदने जैसा मानना चाहिए। किसी अच्छी ख़बर की उम्मीद में आपको कभी भी उनसे भावनात्मक रूप से नहीं जुड़ना चाहिए।
निवेशकों को कभी भी खरीद कर होल्ड करने का तरीका नहीं अपनाना चाहिए, भले ही उन्हें हाल ही में अच्छा रिटर्न मिला हो। क्योंकि समय के साथ न तो वे शेयरधारकों के लिए मूल्य पैदा कर पाते हैं और न ही वे पारदर्शी रिपोर्टिंग प्रणाली का पालन करते हैं। निवेशकों को स्टॉक और सार्वजनिक ख़बरों के बारे में भी ठीक से रिसर्च करना चाहिए और ऑपरेटरों की साजिश का शिकार नहीं बनना चाहिए, जो बाद में कीमतों में हेरफेर करने के बाद अपनी होल्डिंग बेच देते हैं।
कुछ पेनी स्टॉक के लिए ट्रांजैक्शन की लागत भी अधिक होती है और कुछ पर ब्रोकरेज शुल्क प्रति शेयर के आधार पर लगाया जाता है। इसी तरह, जब स्टॉक बहुत कम कीमत पर ट्रेड करते हैं, तो बिड और आस्क प्राइस के बीच का दायरा भी प्रतिशत के लिहाज़ से महत्वपूर्ण हो जाता है।
वॉचलिस्ट में उल्लिखित शेयरों को ख़बरों, अटकलों, उनके प्राइस चार्ट में रुझान और कुछ फंडामेंटल कारकों जैसे ऋण के मुकाबले इक्विटी अनुपात और नकदी प्रवाह को ध्यान में रखते हुए निर्धारित किया गया है।
लेकिन यह जानकारी ख़बरों के आधार पर रोज़ाना अलग-अलग होगी और किसी निवेशक को इन शेयरों में निवेश करने से पहले अपनी ओर से ज़रूरी चीज़ों की जाँच करनी चाहिए।
इज़मायट्रिप ने 2008 में बी2बी2सी (बिजनेस टू बिजनेस टू कस्टमर) डिस्ट्रीब्यूशन चैनल पर ध्यान केंद्रित कर और भारत में ऑफलाइन ट्रेवल मार्केट के लिए घरेलू ट्रेवल एयरलाइन टिकट बुक करने के लिए ट्रेवल एजेंटों को अपनी वेबसाइट तक पहुँच प्रदान कर अपने परिचालन की शुरुआत की। कंपनी का आरओई 53% और आरओसीई 65.9% है जो बढ़िया है। इसकी 5 साल की बिक्री और लाभ सीएजीआर क्रमशः 18% और 40% है। मार्जिन औसतन मज़बूत 50% रहा है।
वोडाफोन आइडिया लिमिटेड आदित्य बिड़ला समूह और वोडाफोन समूह की भागीदारी वाली कंपनी है। यह भारत की अग्रणी टेलिकॉम सर्विस कंपनी है। यह भारतीय मोबाइल टेलिकॉम सर्विस उद्योग के रेवेन्यू में लगभग 21.75% बाज़ार हिस्सेदारी के साथ भारत में सब्सक्राइबरों की संख्या के आधार पर तीसरा सबसे बड़ा वायरलेस ऑपरेटर है। कंपनी पूरे भारत में 2जी, 3जी और 4जी प्लेटफॉर्म पर वॉयस और डेटा सेवाएँ मुहैया कराती है। कंपनी ने घोषणा की है कि वह जल्द ही भारत में अपनी 5जी सेवाएँ शुरू करेगी। रिलायंस जियो और एयरटेल जैसे कंपनियों से मिली प्रतिस्पर्धा वोडाफोन के कारोबार के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि इससे धीरे-धीरे इसके ग्राहक खो रहे हैं। वोडाफोन का शेयर सट्टेबाजों के राडार पर हो सकता है; हालाँकि, यह बेहद जोखिम भरा है, और इस स्टॉक को खरीदने से पहले वॉल्यूम को बारीकी से देखा जाना चाहिए।
स्टॉक पर उनके विचार जानने के लिए आप स्टॉकबास्केट.कॉम के प्रमुख सीए पारस मटालिया द्वारा वोडाफोन आइडिया पर हमारा स्पॉटलाइट वीडियो देख सकते हैं।
एनएचपीसी लिमिटेड भारत सरकार का मिनी रत्न श्रेणी-I उपक्रम है। कंपनी हाइड्रोपावर डेवलपमेंट क्षेत्र की देश की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। यह हाइड्रोपावर का उत्पादन करने कंपनी है जो भारत में हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के एकीकृत और कुशल नेटवर्क की प्लान'प्लानिंग, विकास और कार्यान्वयन का काम करती है। कंपनी हाइड्रोपावर परियोजनाओं के विकास के सभी पहलुओं, अवधारणा से लेकर परियोजनाओं को चालू करने तक का काम करती है। कंपनी का डिविडेंड यील्ड लगभग 4.41% है और ऋण- इक्विटी अनुपात भी कम है। स्टॉक की व्यापक मूल्य सीमा 2022 में 35-45 रुपये के बीच रही।
मोरपेन लैबोरेटरीज दवा कंपनी है। मोरपेन एक प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी से अलग-अलग तरह के गतिविधियों में शामिल कंपनी बन गई जिसका विज़न ग्लोबल है और 75 से अधिक देशों में इसके संतुष्ट ग्राहक हैं। कंपनी के पास भारत के उत्तरी राज्य हिमाचल प्रदेश (एचपी) में तीन अत्याधुनिक विनिर्माण संयंत्र हैं। परवानू के मुख्य संयंत्र का निरीक्षण और अनुमोदन संयुक्त राज्य अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएसएफडीए) ने लोरेटाडाइन के उत्पादन के लिए किया है, जो विश्व स्तर पर सबसे ज्यादा बिकने वाली एंटी-एलर्जी दवा है। यह कंपनी दुनिया में लोरेटाडाइन की सबसे बड़ी उत्पादक है और इसके पास फिलहाल अमेरिकी बाज़ार में जेनेरिक लोरेटाडाइन की 90% से अधिक बाज़ार हिस्सेदारी है। जो नोवार्टिस, मर्क जैसे शीर्ष ग्राहकों की आपूर्तिकर्ता है। कंपनी का ऋण-इक्विटी अनुपात 0.03 है। पिछले एक दशक में, बिक्री और मुनाफ़ा क्रमशः 18% और 17% सीएजीआर के स्तर पर रहा है। स्टॉक की कीमत ने उसी अवधि में 25% का रिटर्न दिया है।
ट्राइडेंट लिमिटेड, ट्राइडेंट ग्रुप की प्रमुख कंपनी, यार्न, बेड लिनन और गेहूँ के भूसे से बने कागज़ के साथ-साथ केमिकल और कैप्टिव पावर की एक महत्वपूर्ण विनिर्माता है। कंपनी के फिलहाल बरनाला (पंजाब) और बुधनी (मध्य प्रदेश) में विनिर्माण संयंत्र हैं। कंपनी ने वित्त वर्ष 21- वित्त वर्ष22 में यार्न के विस्तार में 1140 करोड़ रुपये और पेपर डीबॉटलनेकिंग सह विस्तार में 200 करोड़ रुपये का निवेश किया है ताकि क्षमता को क्रमशः 48,482 टन प्रति वर्ष (टीपीए) और 20,000 टीपीए किया जा सके। ट्राइडेंट एक बिज़नेस ग्रुप के रूप में का लक्ष्य है 2025 तक 12% बॉटम लाइन के साथ कारोबार को 25,000 करोड़ रुपये करना। कंपनी का पिछले 5 साल का औसत आरओसीई 12.9% है और ऋण- इक्विटी अनुपात 0.31 है। कंपनी 31x पी/ई पर कारोबार कर रही है जो उद्योग की प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के अनुरूप है।
एचबीएल पावर सिस्टम्स लिमिटेड एक सूचीबद्ध भारतीय कंपनी है, जो 1977 से कारोबार कर रही है, जो इंजीनियर्ड उत्पादों और सेवाओं पर केंद्रित है। कंपनी की व्यावसायिक रणनीति थी भारत में टेक्नोलॉजी गैप की पहचान करना जिसकी भरपाई वे 'स्वदेशी प्रयासों' से कर सकते थे। सबसे पहले चुने गए और सफलतापूर्वक विकसित किए गए उत्पाद थे एयरक्राफ्ट की बैटरी - बाद में एचबीएल ने दुनिया की सबसे विस्तृत श्रेणी की स्पेशलाइज्ड बैटरी की पेशकश की। अब कंपनी कई अन्य देशों में मजबूत उपस्थिति के साथ भारत में स्पेशलाइज्ड बैटरी और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स की प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन गई है। स्टॉक ने पिछले 3 साल में 7.86% का आरओई और आरओसीई दिया है।
बेस्ट पेनी स्टॉक्स: यहां एक त्वरित वीडियो है
भारत में पेनी स्टॉक्स की सूची: मॉडल वॉचलिस्ट
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