निफ्टी फार्मा इंडेक्स का ओवरव्यू

इस लेख में, हम चर्चा करेंगे

फार्मास्युटिकल्स का लोगों के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण योगदान के मद्देनज़र यह इकॉनमी के सबसे महत्वपूर्ण सेक्टर में से एक है। भारत में, फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री का तेज़ी से विस्तार हो रहा है, क्योंकि देश जेनेरिक दवाओं का महत्वपूर्ण एक्सपोर्टर है। भारतीय फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री तेज़ डेवलपमेंट के लिए तैयार है और ऐसा मुख्य रूप से रोगियों की बढ़ती तादाद, बढ़ता इन्कम लेवल और अच्छी क्वालिटी वाले हेल्थकेयर की बढ़ती मांग जैसे फैक्टर के कारण होगा। निफ्टी फार्मा इंडेक्स भारत में टॉप फार्मास्युटिकल कंपनियों का इंडेक्स है। इंडेक्स फार्मास्युटिकल सेक्टर के लिए एक बेंचमार्क है और व्यापक रूप से इन्वेस्टर और विश्लेषकों द्वारा समान रूप से इसका पालन किया जाता है। यह आर्टिकल भारत में निफ्टी फार्मा इंडेक्स और फार्मास्युटिकल सेक्टर का ओवरव्यू देता है, जिसमें इसका इतिहास, कम्पोज़ीशन, परफॉर्मेंस और आउटलुक शामिल है।

निफ्टी फार्मा क्या है?

निफ्टी फार्मा इंडेक्स है जो भारत में फार्मास्युटिकल सेक्टर को रेप्रेज़ेंट करता है। यह भारत के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) द्वारा बनाए गए और मेंटेन किये जाने वाले कई इंडेक्सों में से एक है। निफ्टी फार्मा इंडेक्स 9 नवंबर, 2015 को लॉन्च हुआ था और तब से यह भारत में फार्मास्युटिकल सेक्टर के लिए एक बेंचमार्क बन गया है। इंडेक्स को फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन-वेटेड मेथड के आधार पर कैलकुलेट किया जाता है। फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन मेथड मार्केट कैपिटलाइज़ेशन को कैलकुलेट करने का एक तरीका है जिसमें केवल उन शेयरों को ध्यान में रखा जाता है जो ओपन मार्केट में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध हैं।

निफ्टी फार्मा का कम्पोज़ीशन

निफ्टी फार्मा इंडेक्स में 10 कंपनियां शामिल हैं जो भारत में फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री की लीडर हैं। इन कंपनियों को अलग-अलग क्राइटीरिया के आधार पर सेलेक्ट किया जाता है, जैसे मार्केट कैपिटलाइज़ेशन, लिक्विडिटी और ट्रेडिंग वॉल्यूम। निफ्टी फार्मा शेयर प्राइस इस इंडेक्स में शामिल शेयरों के एवरेज वैल्यू को ज़ाहिर करता है, और इसका इस्तेमाल भारत में फार्मास्युटिकल सेक्टर के परफॉर्मेंस के मूल्यांकन के लिए बेंचमार्क के रूप में किया जा सकता है। कंपनियां जो फिलहाल निफ्टी फार्मा इंडेक्स का हिस्सा हैं:
  • सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड (सनफार्मा)

सन फार्मा भारत की सबसे बड़ी फार्मास्युटिकल कंपनी है और दुनिया की शीर्ष जेनेरिक दवा निर्माताओं में से एक है। कंपनी के पोर्टफोलियो में फॉर्मूलेशन, एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्रीडिएंट्स (एपीआई) और ड्रग डिलीवरी सिस्टम शामिल हैं। इसका कारोबार 100 से अधिक देशों में फैला है और भारत, अमेरिका, कनाडा और अन्य देशों में इसकी मैन्युफैक्चरिंग इकाइयां हैं।
  • डिविस लैबोरेट्रीज़ लिमिटेड (डिविस)

डिविस लैबोरेट्रीज़ हैदराबाद की फार्मास्युटिकल कंपनी है जो मुख्य रूप से एपीआई और इंटरमीडिएट के डेवलपमेंट और मैन्युफैक्चरिंग करती है। कंपनी केमिस्ट्री, प्रोसेस डेवलपमेंट और मैन्युफैक्चरिंग में अपनी विशेषज्ञता के लिए जानी जाती है।
  • डॉ रेड्डीज़ लैबोरेटरीज़ लिमिटेड (डॉ रेड्डी)

डॉ रेड्डीज़ लैबोरेटरीज़ मल्टीनेशनल फार्मास्युटिकल कंपनी है जिसकी ख़ासियत है, जेनेरिक और ब्रांडेड दवाओं के डेवलपमेंट, मैन्युफैक्चरिंग और मार्केटिंग। कंपनी का कारोबार 20 से अधिक देशों में फैला है और भारत, अमेरिका और अन्य देशों में इसकी मैन्युफैक्चरिंग इकाइयां हैं।
  • सिप्ला लिमिटेड (सिप्ला)

सिप्ला ग्लोबल फार्मास्युटिकल कंपनी है जो फॉर्मूलेशन, एपीआई और बायोसिमिलर सहित कई तरह के फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट का डेवलपमेंट और मैन्युफैक्चरिंग करती है। कंपनी का कारोबार 80 से अधिक देशों में फैला है और भारत, अमेरिका और अन्य देशों में इसकी मैन्युफैक्चरिंग इकाइयां हैं।
  • अरबिंदो फार्मा लिमिटेड (ऑरोफार्मा)

अरबिंदो फार्मा हैदराबाद की फार्मास्युटिकल कंपनी है जो मुख्य रूप से जेनेरिक दवाओं और एपीआई के डेवलपमेंट, मैन्युफैक्चरिंग और मार्केटिंग से जुड़ी है। कंपनी की 150 से अधिक देशों में मौजूदगी है और भारत, अमेरिका और अन्य देशों में मैन्युफैक्चरिंग इकाइयां हैं।
  • बायोकॉन लिमिटेड (बायोकॉन)

बायोकॉन एक बायोफार्मास्युटिकल कंपनी है जो बायोसिमिलर और जेनेरिक दवाओं के डेवलपमेंट और मैन्युफैक्चरिंग करती है। कंपनी की रिसर्च सर्विस और ड्रग डिस्कवरी से भी जुड़ी है। बायोकॉन की भारत, मलेशिया और अन्य देशों में मैन्युफैक्चरिंग इकाइयां हैं
  • टोरेंट फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड ((टोर्न्टफार्म))

टोरेंट फार्मास्युटिकल्स गुजरात की फार्मास्युटिकल कंपनी है जो ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं का डेवलपमेंट, मैन्युफैक्चरिंग और मार्केटिंग करती है। कंपनी का कारोबार 50 से अधिक देशों में फैला है और भारत तथा अन्य देशों में इसकी मैन्युफैक्चरिंग इकाइयां हैं
  • ल्यूपिन लिमिटेड (ल्यूपिन)

ल्यूपिन मल्टीनेशनल फार्मास्युटिकल कंपनी है जो फॉर्मूलेशन, एपीआई और बायोसिमिलर सहित फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट की एक विस्तृत श्रृंखला का डेवलपमेंट, मैन्युफैक्चरिंग और मार्केटिंग करती है। कंपनी का कारोबार 100 से अधिक देशों में फैला है और भारत, अमेरिका और अन्य देशों में इसकी मैन्युफैक्चरिंग इकाइयां हैं।
  • कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड (कैडिलाएचसी)

कैडिला हेल्थकेयर गुजरात की फार्मास्युटिकल कंपनी है जो फॉर्मूलेशन, एपीआई और बायोसिमिलर सहित कई तरह के फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट का डेवलपमेंट, मैन्युफैक्चरिंग और मार्केटिंग करती है। कंपनी का कारोबार 50 से अधिक देशों में फैला है और भारत, अमेरिका और अन्य देशों में इसकी मैन्युफैक्चरिंग इकाइयां हैं।
  • एल्केम लेबोरेटरीज लिमिटेड (एल्केम)

एल्केम लैबोरेटरीज़ मुंबई की फार्मास्युटिकल कंपनी है जो मुख्य रूप से ब्रांडेड और जेनेरिक ड्रग के डेवलपमेंट, मैन्युफैक्चरिंग और मार्केटिंग का काम करती है। कंपनी का कारोबार 50 से अधिक देशों में फैला है और भारत तथा अन्य देशों में इसकी मैन्युफैक्चरिंग इकाइयां हैं। उपरोक्त कंपनियां फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री की लीडर हैं और भारत में उनका मार्केट शेयर काफ़ी बड़ा है। वे अपने इनोवेटिव प्रोडक्ट और रिसर्च और डेवलपमेंट की गतिविधियों के लिए भी जानी जाती हैं।

निफ्टी फार्मा में ट्रेडिंग

भारत में फार्मास्युटिकल सेक्टर में रुचि रखने वालों के लिए निफ्टी फार्मा में ट्रेडिंग इन्वेस्टमेंट का आकर्षक मौक़ा हो सकता है। इन्वेस्टर निफ्टी फार्मा में फ्यूचर एवं ऑप्शन, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) और इंडेक्स फंड सहित कई तरह के इंस्ट्रूमेंट के ज़रिये ट्रेडिंग कर सकते हैं। आइए इन ट्रेडिंग ऑप्शन पर करीब से नज़र डालें:
  • फ्यूचर और ऑप्शन

फ्यूचर और ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट डेरिवेटिव हैं जो इन्वेस्टर को निफ्टी फार्मा इंडेक्स में लीवरेज पोज़ीशन लेने का मौका देते हैं। इन कॉन्ट्रैक्ट का तय एक्सपायरेशन डेट होता है और इसके तहत इन्वेस्टर इंडेक्स पर लॉन्ग (बाय) और शोर्ट (बाय) दोनों पोज़ीशन ले सकते हैं। फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग कई तरह के ब्रोकरेज फर्मों के ज़रिये की जा सकती है और इसके लिए मार्जिन डिपॉज़िट की ज़रुरत होती है, जो ब्रोकर और कॉन्ट्रैक्ट स्पेसिफिकेशन के आधार पर अलग-अलग होता है।
  • एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ)

ईटीएफ इन्वेस्टमेंट फंड हैं जो निफ्टी फार्मा जैसे स्पेसिफिक इंडेक्स के परफॉर्मेंस को ट्रैक करते हैं। ईटीएफ का स्टॉक एक्सचेंजों पर इंडिविजुअल स्टॉक की तरह कारोबार होता है और इन्वेस्टर को बड़े कैपिटल आउटले के बगैर इंडेक्स में इन्वेस्ट करने का मौका देता है। ईटीएफ में म्युचुअल फंड के मुक़ाबले एक्सपेंस रेशियो कम होता है और ये ज़्यादा टैक्स-एफिशिएंट होते हैं। भारत में कुछ लोकप्रिय निफ्टी फार्मा स्टॉक में निप्पॉन इंडिया ईटीएफ फार्मा और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल फार्मा ईटीएफ शामिल हैं।
  • इंडेक्स फंड

इंडेक्स फंड म्यूचुअल फंड हैं जो निफ्टी फार्मा इंडेक्स की तरह सिक्योरिटी में इन्वेस्ट करते हैं। इन फंडों का मकसद होता है इंडेक्स के परफॉर्मेंस को दोहराना और इन्वेस्टर को भारत में फार्मास्युटिकल सेक्टर में एक्सपोज़र प्रदान करना। इंडेक्स फंड में एक्टिव तरीके से मैनेज किये जाने वाले फंड के मुक़ाबले एक्सपेंस रेशियो कम होता है और ये ज़्यादा टैक्स-एफिशिएंट होते हैं। भारत में कुछ लोकप्रिय निफ्टी फार्मा इंडेक्स फंड में एसबीआई फार्मा फंड और आदित्य बिड़ला सन लाइफ फार्मा एंड हेल्थकेयर फंड शामिल हैं। निफ्टी फार्मा में ट्रेडिंग करते समय, इन्वेस्टर को कई तरह के फैक्टर को ध्यान में रखना चाहिए जो फार्मास्युटिकल सेक्टर के परफॉर्मेंस को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे कि सरकारी नियम, पेटेंट एक्सपायरेशन और डोमेस्टिक एवं इंटरनेशनल कंपनियों से कम्पटीशन। इन्वेस्टर को इन्वेस्टमेंट से जुड़ा कोई फैसला करने पहले ठीक से रिसर्च और एनालिसिस करना चाहिए और रिस्क मैनेज के लिए अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाय करना चाहिए।

निफ्टी फार्मा के परफॉर्मेंस को प्रभावित करने वाले फैक्टर

निफ्टी फार्मा इंडेक्स के परफॉर्मेंस को कई फैक्टर प्रभावित करते हैं। कुछ महत्वपूर्ण फैक्टर हैं:
  • रिसर्च और डेवलपमेंट

फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री के लिए रिसर्च और डेवलपमेंट की गतिविधियां महत्वपूर्ण हैं। जो कंपनियां रिसर्च और डेवलपमेंट में भारी-भरकम इन्वेस्टमेंट करती हैं, उनके नए प्रोडक्ट के साथ आने की संभावना होती है जो कंपनी के लिए काफी रेवेन्यू जेनरेट कर सकते हैं। जिन कंपनियों के पास इनोवेटिव प्रोडक्ट की मज़बूत पाइपलाइन होती है, उनके लॉन्ग टर्म में अच्छे परफॉर्म करने की संभावना होती है।
  • पेटेंट एक्सपायरेशन

पेटेंट की एक्सपायरेशन एक महत्वपूर्ण फैक्टर है जो फार्मास्युटिकलइंडस्ट्री के परफॉर्मेंस को प्रभावित करता है। पेटेंट समाप्त होने पर यह जेनेरिक दवाओं के लिए मार्केट खोल देता है, जो आम तौर पर ब्रांडेड दवाओं के मुक़ाबले कम कीमत पर बेची जाती हैं। जिन कंपनियों के रेवेन्यू का एक महत्वपूर्ण हिस्सा ब्रांडेड दवाओं से आता है, पेटेंट की एक्सपायरेशन के बाद उनके रेवेन्यू और प्रोफिटेबिलिटी में गिरावट देखी जा सकती है।
  • सरकारी रेगुलेशन

सरकारी रेगुलेशन का फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री पर महत्वपूर्ण असर होता है। इंडस्ट्री बेहद रेगुलेटेड है, और कंपनियों को कई तरह के कानूनों और रेगुलेशन का पालन करना होता है। दवाओं की प्राइसिंग को नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) के ज़रिये रेगुलेट किया जाता है, जिससे कंपनियों के रेवेन्यू और प्रोफिटेबिलिटी पर असर हो सकता है। इसके अलावा, सरकार की पॉलिसी और रेगुलेशन में बदलाव से भी इंडस्ट्री पर असर हो सकता है।
  • ग्लोबल मार्केट

फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री ग्लोबल है, और जिन कंपनियों का कारोबार इंटरनेशनल मार्केट में अधिक है, उनके अच्छा परफॉर्म करने की संभावना होती है। ग्लोबल मार्केट बड़ा कस्टमर बेस प्रदान करते हैं, जिससे रेवेन्यू और प्रोफिटेबिलिटी बेहतर होने की संभावना हो सकती है। हालांकि, ग्लोबल मार्केट में काम करने वाली कंपनियों को कई तरह के रेगुलेशन का पालन करना होता है और इंटरनेशनल कंपनियों से कम्पटीशन करना होता है।
  • हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर

भारत में हेल्थकेयर सर्विस का इंफ्रास्ट्रक्चर तेजी से डेवलप हो रहा है और हेल्थकेयर सर्विस और प्रोडक्ट की मांग बढ़ रही है। हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर की ग्रोथ फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री के लिए अपने कस्टमर बेस और रेवेन्यू बढ़ाने के मौके पैदा कर सकती है। इसके अलावा, सरकार के सस्ते हेल्थकेयर प्रदान करने पर ज़ोर देने का इंडस्ट्री को फ़ायदा हो सकता है।

निफ्टी फार्मा इंडेक्स के लिए आउटलुक

निफ्टी फार्मा इंडेक्स के लिए आउटलुक पॉज़िटिव है, क्योंकि भारत में फार्मास्युटिकल सेक्टर तेज़ ग्रोथ के लिए तैयार है। पिछले कुछ साल से यह सेक्टर अच्छा परफॉर्म कर रहा है, निफ्टी फार्मा इंडेक्स ने कई मौकों पर बाकी मार्केट से बेहतर परफॉर्म किया है। बढ़ते इन्कम लेवल और अच्छी क्वालिटी वाले हेल्थकेयर सर्विस की बढ़ती मांग इस सेक्टर के ग्रोथ को और बढ़ा रही है। इसके अलावा, भारत सरकार "फार्मा विज़न 2020" और "फार्मा 4.0" जैसी पहलों के ज़रिये फार्मास्युटिकल सेक्टर के ग्रोथ को आगे बढ़ाने के लिए कदम उठा रही है। इन पहलों का मकसद है इनोवेशन, रिसर्च और डेवलपमेंट को बढ़ावा देकर और सस्ते हेल्थकेयर की उपलब्धता बढ़ाकर भारत को फार्मास्युटिकल सेक्टर में ग्लोबल लीडर बनाना है। हालाँकि, इस सेक्टर को कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है, जैसे बढ़ता कम्पटीशन, रेगुलेटरी बाधाएँ और बढ़ता कॉस्ट। हेल्थकेयर सर्विस की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए इस सेक्टर को नई और इनोवेटिव दवाओं को डेवलप करने के बढ़ते दबाव का भी सामना करना पड़ रहा है। इन चुनौतियों के बावजूद, नई दवाओं और थेरेपी को डेवलप करने के लिए रिसर्च और डेवलपमेंट में भारी-भरकम इन्वेस्ट करने वाली कंपनियों के साथ, इस सेक्टर और निफ्टी फार्मा इंडेक्स के लिए आउटलुक पॉज़िटिव है। यह सेक्टर डिजिटल टेक्नोलॉजी को भी अपना रहा है, जिससे आने वाले दिनों में डेवलपमेंट को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

निफ्टी फार्मा स्टॉक में इन्वेस्ट कैसे करें?

निफ्टी फार्मा स्टॉक में इन्वेस्ट करना अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन लाने और संभावित रूप से लॉन्ग टर्म प्रॉफिट कमाने का शानदार तरीका हो सकता है। निफ्टी फार्मा इंडस्ट्री में पिछले कुछ साल में लगातार ग्रोथ दर्ज हुआ है और भविष्य में भी यह जारी रहने की उम्मीद है। ये कुछ स्टेप हैं जिनसे आपको निफ्टी फार्मा स्टॉक में इन्वेस्ट करने में मदद मिल सकती है:
  • मार्केट को रिसर्च और एनेलाइज़ करें

निफ्टी फार्मा स्टॉक में इन्वेस्ट करने का पहला कदम है मार्केट को रिसर्च और एनेलाइज़ करें। फार्मा सेक्टर और अपनी रुचि वाली स्पेसिफिक कंपनियों की हिस्टोरिकल परफॉर्मेंस देखें। फिनांशियल स्टेटमेंट और दूसरे रेलीवेंट डेटा जैसे रेवेन्यू ग्रोथ, अर्निंग पर शेयर (ईपीएस), और रिटर्न ऑन इक्विटी (आरओई) को एनेलाइज़ करें। इससे आपको सोच-समझ कर इन्वेस्टमेंट का फैसला करने में मदद मिलेगी।
  • सही स्टॉक चुनें

रिसर्च कर लेने पर इन्वेस्ट करने के लिए सही निफ्टी फार्मा स्टॉक चुनें। मज़बूत फिनांशियल पोज़ीशन, स्टेबल मैनेजमेंट और डेवलपमेंट के अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाली कंपनियों की तलाश करें। इसके अलावा, कंपनी के प्रोडक्ट पोर्टफोलियो, पेटेंट और रेगुलेटरी अप्रूवल पर भी ध्यान दें।
  • बजट और इन्वेस्ट स्ट्रेटेजी तय करें

तय करें कि आप कितना अमाउंट इन्वेस्ट करना चाहते हैं और आप किस इन्वेस्ट स्ट्रेटेजी को फॉलो करना चाहते हैं। आप एकमुश्त अमाउंट इन्वेस्ट करना चुन सकते हैं या सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट  प्लान (एसआईपी) के ज़रिये नियमित रूप से इन्वेस्ट कर सकते हैं।
  • अपने इन्वेस्टमेंट को मॉनिटर करें

इन्वेस्ट करने के बाद, नियमित रूप से अपने पोर्टफोलियो पर नज़र रखना ज़रूरी है। आपने जिन स्टॉक में इन्वेस्ट किया है, उनके परफॉर्मेंस को मॉनिटर करें और निफ्टी फार्मा इंडस्ट्री में किसी भी डेवलपमेंट के बारे में अपडेट रहें।
  • प्रोफेशनल एडवाइस लें

यदि आप इन्वेस्टमेंट के लिहाज़ से नए हैं या आपके पास मार्केट के बारे में रिसर्च करने का समय या विशेषज्ञता नहीं है, तो प्रोफेशनल एडवाइस लेने की सोचें। फिनांशियल एडवाइज़र आपको अपने फिनांशियल टार्गेट के अनरूप सही निफ्टी फार्मा स्टॉक चुनने और एक ऐसी इन्वेस्ट स्ट्रेटेजी डेवलप करने में मदद कर सकते हैं।

निष्कर्ष

शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना फायदेमंद वेंचर हो सकता है, और निफ्टी फार्मा सेक्टर इन्वेस्टर के लिए बेहतरीन मौके प्रदान कर सकता है। हालाँकि, ठीक से सोच-समझ कर इन्वेस्ट करने का फैसला करने के लिए, सही इंस्ट्रूमेंट और रिसोर्स की पहुँच ज़रूरी है। क्या अपने फिनांशियल गेम को अगले लेवल पर ले जाने के लिए तैयार हैं? इस ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, सैमको के अलावा कहीं और जाने की ज़रुरत नहीं है, जो इन्वेस्टमेंट की दुनिया के हर मौके को आपके फिंगरटिप पर ला देता है। सैमको के साथ, आप आसानी से इसके आकर्षक ऐप पर कुछ ही पल में डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं और आप अपने फिनांशियल टार्गेट को हासिल करने के लिए आसानी से और सहजता से ट्रेडिंग कर सकते हैं।

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