इस आर्टिकल में हम बात करेंगे :
- डीमैट अकाउंट क्या है?
- डीमैट अकाउंट का इस्तेमाल किस लिए किया जाता है?
- ट्रेडिंग अकाउंट क्या है?
- डिपोजिटरी क्या है?
- डिपोजिटरी पार्टिसिपेंट क्या है?
- भारत में कितने प्रकार के डीमैट अकाउंट हैं?
- डीमैट अकाउंट कैसे काम करता है?
- डीमैट अकाउंट का इस्तेमाल करके शेयर कैसे ख़रीदा जाता है?
- डीमैट अकाउंट के लाभ क्या हैं?
- डीमैट अकाउंट के नुकसान क्या हैं?
- डीमैट अकाउंट कैसे खोला जाता है?
- डीमैट अकाउंट क्या है उससे जुड़े FAQ
डीमैट अकाउंट क्या है? - डीमैट अकाउंट का परिचय
डीमैट अकाउंट क्या है, यह समझने के लिए यह वीडियो देखेंबैंक अकाउंट में आपके कैश और अन्य एसेट्स जैसे फिक्स्ड डिपोजिट्स, रेकरिंग डिपोजिट्स, इत्यादि होते हैं। है न? इसी तरह, डीमैट अकाउंट एक ऐसा डिजिटल लॉकर (तिजोरी) होता है जिसमें आपके फाइनेंशियल एसेट्स, 'इलेक्ट्रॉनिक' रूप में रहते हैं। डीमैट अकाउंट में शेयर, बॉन्ड, म्यूच्यूअल फंड्स, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF), इत्यादि जैसे एसेट्स रहते हैं।डीमैट अकाउंट का पूरा नाम डीमैटरियलाइजेशन अकाउंट है। डीमैटरियलाइजेशन क्या है? फिजिकल शेयर्स को इलेक्ट्रॉनिक रूप में बदलने की प्रक्रिया को डीमैटरियलाइजेशन कहा जाता है। आपको पता है कि भारत में डीमैट अकाउंट्स की शुरूआत, 1996 में हुई थी। उससे पहले, निवेशकों के बीच फिजिकल शेयर सर्टिफिकेट्स की खरीद-बिक्री होती थी।तो, मान लीजिए, आपने 1992 में रिलायंस इंडस्ट्रीज के 100 शेयर्स ख़रीदे थे। कंपनी आपको आपके शेयर्स, फिजिकल पेपर के रूप में भेजेगी। यदि आप उसके बाद इन शेयरों को बेचना चाहते थे तो आपको अपने ब्रोकर को फिजिकल शेयर सर्टिफिकेट्स देना पड़ता था जो उसके लिए एक खरीदार ढूंढेगा। शेयर्स बिक जाने के बाद, ब्रोकर, उन फिजिकल शेयर सर्टिफिकेट्स को खरीदार को दे देगा और उसके बदले मिलने वाले पैसे को आपके अकाउंट में डाल दिया जाएगा। तो, डीमैटरियलाइजेशन से पहले, आपको आपके शेयर्स असल में अपने हाथ में पकड़कर रख सकते थे!लेकिन स्वाभाविक है कि इस प्रक्रिया में समय बहुत लगता है, और इसमें इसके चोरी, गुम, या जाली होने का खतरा रहता है, और इसका हिसाब भी लगाया नहीं जा सकता है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि पंजाब में स्थित विक्रेता को चेन्नई में स्थित ग्राहक को शेयर्स सर्टिफिकेट्स भेजते समय कूरियर पर कितना खर्च करना पड़ेगा? बहुत अधिक! इसके अलावा, डीमैट अकाउंट से पहले, शेयरों की खरीद-बिक्री का निपटान करने में 14 कार्यदिवस का समय लगता था!1996 में सब बदल गया क्योंकि भारतीय शेयर बाजारों ने 'डीमैटरियलाइजेशन' का तरीका अपना लिया था। डीमैटरियलाइजेशन की मदद से, सेटलमेंट सायकल, 14 कार्यदिवस से घटकर 2 कार्यदिवस हो गया। डीमैट अकाउंट के आ जाने से शेयर बाजारों में ट्रेडिंग का हिसाब लगाना संभव हो गया। इससे शेयर बाजार की पहुँच बढ़ गई। आज, भारत में दूरदराज के गाँव में स्थित एक व्यक्ति, एक डीमैट अकाउंट के माध्यम से शेयर बाजार में आसानी से ट्रेड कर सकता है।डीमैट खाते में कौन सी 'प्रतिभूतियां' जमा की जा सकती हैं?
बहुत सारे नौसिखिए निवेशकों का मानना है कि डीमैट खाता केवल शेयरों को स्टोर करने के लिए है। यह सच नहीं है। डीमैट खाते में आप निम्नलिखित संपत्तियां भी रख सकते हैं:ट्रेडिंग अकाउंट क्या है?
कई नए निवेशक इस अकाउंट को लेकर भी उलझन में पड़ जाते हैं। डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट्स एक समान नहीं हैं। ट्रेडिंग अकाउंट का इस्तेमाल, सिक्योरिटीज खरीदने और बेचने के लिए किया जाता है जबकि डीमैट अकाउंट का इस्तेमाल सिर्फ उन शेयरों को रखने के लिए किया जाता है। आप डीमैट अकाउंट का इस्तेमाल करके शेयर खरीद या बेच नहीं सकते हैं। शेयर खरीदने-बेचने के लिए आपके पास एक ट्रेडिंग अकाउंट का होना जरूरी है। आइये इस साधारण उदाहरण की मदद से डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के अंतर को समझने की कोशिश करते हैं।आप नए जूते खरीदने के लिए एक जूते की दूकान में जाते हैं। आप उन्हें पहनकर देखते हैं और उन्हें खरीदने का फैसला करते हैं। पेमेंट काउंटर पर पहुँचने पर, सेल्समैन चिल्लाकर कहता है, 'छोटू, पैक्ड पीस दे'। और आसामान से एक पैक्ड बॉक्स गिरता है! (ऊपरी गोदाम)। ध्यान से देखें कि खरीदने और बेचने का काम, जूते की दूकान में होता है। लेकिन असल में वे जूते, गोदाम में रखे होते हैं। जब-जब कोई ग्राहक कोई जूता खरीदता है, तब-तब गोदाम से एक नया बॉक्स दिया जाता है।[और पढ़ें: डीमैट खाता बनाम ट्रेडिंग खाता]इस उदाहरण में, गोदाम आपका डीमैट अकाउंट है, और जूते की दूकान, आपके ट्रेडिंग अकाउंट है- आपके एसेट्स, आपके डीमैट अकाउंट में रहते हैं
- आप इन एसेट्स को अपने ट्रेडिंग अकाउंट का इस्तेमाल करके खरीदते-बेचते हैं।
क्या आप सिर्फ एक डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं?
हाँ, आप एक ट्रेडिंग अकाउंट खोले बिना सिर्फ एक डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं। लेकिन ऐसा सिर्फ तभी करना चाहिए यदि आप अपने शेयरों को कभी बेचना नहीं चाहते हैं। तो, यदि आप सिर्फ शेयरों की खरीदारी करते हैं और आपको यकीन है कि आप उन्हें 10 या 20 साल तक नहीं बेचेंगे तो आप एक ट्रेडिंग अकाउंट खोले बिना सिर्फ एक डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं।क्या आप सिर्फ एक ट्रेडिंग अकाउंट खोल सकते हैं?
हाँ, आप एक डीमैट अकाउंट खोले बिना सिर्फ एक ट्रेडिंग अकाउंट खोल सकते हैं। लेकिन उस मामले में, आप सिर्फ फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) में ही ट्रेड कर सकते हैं क्योंकि उनका सेटलमेंट, कैश में होता है। ट्रेडिंग अकाउंट के बिना, आप इंट्राडे ट्रेडिंग नहीं कर सकते हैं। अनिवार्य न होने के बावजूद, एक ही ब्रोकर के पास डीमैट और ट्रेडिंग दोनों अकाउंट खोलना चाहिए ताकि शेयर ट्रेडिंग और सेटलमेंट आसानी से हो सके।क्या आप एक से अधिक डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं?
हाँ, बेशक! आप जितना चाहे उतने डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं। लेकिन याद रखें, आपको प्रत्येक डीमैट अकाउंट के लिए अलग-अलग एनुअल मेंटेनेंस चार्ज देना पड़ेगा।[ और पढ़ें: भारत में डीमैट अकाउंट सम्बन्धी चार्ज के बारे में सब कुछ ]अब जबकि आप समझ चुके हैं कि डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट क्या है, तो आइये डीमैट अकाउंट को अच्छी तरह काम करने में मदद करने वाले विभिन्न प्रतिभागियों के बारे में जानते हैं। भारत में सभी डीमैट अकाउंट्स को डिपोजिटरीज द्वारा मेंटेन किया जाता है।डिपोजिटरीज क्या हैं?
डिपोजिटरी, आपके बैंक की तरह का एक संस्थान है। आपके सभी सिक्योरिटीज (शेयर्स, बॉन्ड्स, इत्यादि) को इन डिपोजिटरीज की मदद से सुरक्षित तरीके से स्टोर किया जाता है। इन डिपोजिटरीज का मुख्य कार्य, सिक्योरिटीज को एक डीमैट अकाउंट से दूसरे डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर करना है। यह आपके पैसे को एक बैंक अकाउंट से दूसरे बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करने जैसा है। जिस तरह एक बैंक के कई ब्रांच होते हैं, उसी तरह डिपोजिटरीज के भी कई डिपोजिटरी पार्टिसिपेंट्स (DPs) होते हैं।भारत में दो मुख्य डिपोजिटरीज हैं: NSDL, दुनिया के सबसे बड़े डिपोजिटरीज में से एक है। इसकी स्थापना, अगस्त 1996 में, डिपोजिटरीज एक्ट ऑफ़ 1996 के तहत की गई थी। NSDL के 276 रजिस्टर्ड डिपोजिटरी पार्टिसिपेंट्स (DPs) हैं जिनके पास लगभग 2.70 करोड़ एक्टिव क्लाइंट अकाउंट्स हैं। NSDL का कुल डीमैट कस्टडी वैल्यू, 2,93,20,536 करोड़ रु. है।डिपोजिटरी पार्टिसिपेंट क्या है?
आपका ब्रोकर ही आपका डिपोजिटरी पार्टिसिपेंट है। एक निवेशक होने के नाते, आप सीधे NSDL या CDSL के पास जाकर डीमैट अकाउंट नहीं खोल सकते हैं। आप सिर्फ अपने ब्रोकर की मदद से ही एक डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं। वह आपके और डिपोजिटरी के बीच की एक महत्वपूर्ण कड़ी की तरह काम करता है। सैमको सिक्योरिटीज लिमिटेड, भारत में सबसे लोकप्रिय डिपोजिटरी पार्टिसिपेंट्स में से एक है जिसके पास 2.5 लाख से अधिक क्लाइंट्स हैं। डिपोजिटरी पार्टिसिपेंट एक डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट का इस्तेमाल करके शेयर्स खरीदने-बेचने में आपकी मदद करता है।भारत में कितने प्रकार के डीमैट अकाउंट हैं?
भारत में मुख्य रूप से 3 प्रकार के डीमैट अकाउंट हैं। यह विभाजन इस बात पर आधारित है कि आप एक निवासी भारतीय (RI) हैं या गैर निवासी भारतीय (NRI)।- व्यक्ति के पास दोनों डिपोजिटरीज में सिर्फ एक ही डीमैट अकाउंट होना चाहिए।
- डीमैट अकाउंट में सिक्योरिटीज का वैल्यू, 4 लाख रु. से अधिक नहीं होना चाहिए।
- जिन डीमैट अकाउंट्स का होल्डिंग वैल्यू, 1.5 लाख रु. से अधिक नहीं है उन पर कोई AMC नहीं लगता है।
डीमैट अकाउंट कैसे काम करता है? – डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट
- क्या आप डीमैट अकाउंट का इस्तेमाल करके शेयर्स खरीद सकते हैं?
- शेयर्स बेच देने पर ट्रेडिंग अकाउंट का क्या होता है?
- डीमैट अकाउंट कैसे काम करता है?
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट फ्लो - खरीदने का ऑर्डर डालना
आइये समझते हैं कि खरीदने का ऑर्डर डालने पर डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट कैसे काम करता है।- राम, इनफ़ोसिस लिमिटेड के 100 शेयर्स खरीदने का फैसला करता है। 12 मई 2022 को शेयर की कीमत, 1,509.70 रु. है।
- राम, अपने बैंक अकाउंट से अपने ट्रेडिंग अकाउंट में 1,50,970 रु. ट्रांसफर करता है।
- वह अपने ट्रेडिंग अकाउंट में लॉग इन करता है और शेयर खरीदने का ऑर्डर डालता है।
- स्टॉक एक्सचेंज, राम के लिए एक विक्रेता ढूंढता है। विक्रेता मिलने पर, शेयर खरीदने का ऑर्डर पूरा किया जाता है।
- अब राम के ट्रेडिंग अकाउंट से 1,50,970 रु. निकालकर, एक्सचेंज को दे दिया जाएगा।
- एक्सचेंज, विक्रेता से इनफ़ोसिस के 100 शेयर्स लेकर उसे उसके बदले में 1,50,970 रु. ट्रांसफर करेगा
- एक्सचेंज, राम के डीमैट अकाउंट में इनफ़ोसिस के 100 शेयर्स डाल देगा। ये शेयर्स, राम के डीमैट अकाउंट में T+2 दिनों में ट्रांसफर होते हैं। इसे सेटलमेंट सायकल के नाम से जाना जाता है।
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट फ्लो - बेचने का ऑर्डर डालना
आइये देखते हैं कि बेचने का ऑर्डर डालने पर डीमैट अकाउंट कैसे काम करता है।- श्याम, 1,509.70 रु. में इनफ़ोसिस के 100 शेयर्स बेचना चाहता है।
- चूंकि वह शेयर्स बेच रहा है, इसलिए उसे अपने ट्रेडिंग अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने की जरूरत नहीं है।
- श्याम अपने ट्रेडिंग टर्मिनल में जाता है और बेचने का ऑर्डर डालता है।
- एक्सचेंज, उस ऑर्डर को राम के खरीदारी सम्बन्धी ऑर्डर के साथ मिलान करता है।
- डिपोजिटरी, श्याम के डीमैट अकाउंट से 100 शेयर लेकर (डेबिट करके), राम के डीमैट अकाउंट में डाल (क्रेडिट कर) देता है।
- इसी तरह, यह राम के ट्रेडिंग अकाउंट से 1,50,970 रु. निकालकर, श्याम के ट्रेडिंग अकाउंट में 1,50,970 रु. डाल देता है।
खरीदार | विक्रेता |
डीमैट अकाउंट में शेयर्स क्रेडिट किए गए | डीमैट अकाउंट में शेयर्स डेबिट किए गए |
ट्रेडिंग अकाउंट में शेयरों का क्रय मूल्य डेबिट किया गया | ट्रेडिंग अकाउंट में विक्रय मूल्य क्रेडिट किया गया |
आपको डीमैट अकाउंट क्यों खोलना चाहिए? – डीमैट अकाउंट के मुख्य 10 लाभ
इसका छोटा सा जवाब है क्योंकि आप डीमैट अकाउंट के बिना शेयर बाजार में भाग नहीं ले सकते हैं। हाँ, सिक्योरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) के अनुसार, भारतीय शेयर बाजार में ट्रेड करने के लिए डीमैट अकाउंट का होना जरूरी है। डीमैट अकाउंट खोलने के अन्य लाभ हैं:- सभी फाइनेंशियल एसेस्ट्स को रखने के लिए एक सिंगल जगह: डीमैट अकाउंट, शेयर्स स्टोर करने के अलावा और कई काम करता है। यह आपके म्यूच्यूअल फंड्स, सरकारी बॉन्ड्स, ETF, इत्यादि को भी एक जगह रखता है। यह एकदम सही है क्योंकि इससे आपको अपने पोर्टफोलियो का वैल्यू जानने के लिए एक से अधिक ब्रोकरों के साथ अलग-अलग अकाउंट मेंटेन या कोऑर्डिनेट करना नहीं पड़ता है। आप बस अपने डीमैट अकाउंट में लॉग इन करके अपने सभी फाइनेंशियल एसेट्स के वर्तमान वैल्यू के बारे में जान सकते हैं।
- आसान और जल्दी निपटान: 1996 से पहले, सभी ट्रेड्स का सेटलमेंट, भौतिक तरीके से किया जाता था। शेयर्स खरीदने के लिए, आपको अपने ब्रोकर को कैश देना पड़ता था। उसके बाद वह स्टॉक एक्सचेंज में जाकर विक्रेता ढूंढता था। इसी तरह, विक्रेता को भी ब्रोकर को फिजिकल शेयर सर्टिफिकेट्स देना पड़ता है जो शेयर बाजार में उसके लिए एक विक्रेता खोजता था। जब दोनों ब्रोकर्स मिलते थे, तब जाकर लेनदेन 'ब्रोकर्ड' या पूरा होता था। इस पूरी प्रक्रिया में 14 दिन लगते थे। लेकिन डीमैट अकाउंट्स की मदद से, सारे सेटलमेंट, T+2 दिनों में हो जाते हैं। T का मतलब, लेनदेन की तारीख है। उदाहरण के लिए: यदि आपने सोमवार को शेयर्स ख़रीदा था तो वे बुधवार की शाम तक आपके डीमैट अकाउंट में क्रेडिट हो जाएंगे। यह सिर्फ डीमैटरियलाइजेशन के कारण ही संभव हुआ है।
- शेयर सर्टिफिकेट्स के चोरी, गुम, या जाली होने का कोई जोखिम नहीं: फिजिकल शेयर्स आसानी से चोरी या गुम हो जाते थे। ऐसा कई बार देखने को मिला था कि शेयर बाजार में जाली शेयर्स बेचे जा रहे थे। लेकिन डीमैट अकाउंट्स के कारण, अब आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। 'रजिस्ट्रार्स और ट्रांसफर एजेंट्स' सुनिश्चित करते हैं कि ट्रांसफर किए गए सिक्योरिटीज, 'ओरिजिनल' हैं।
- आसान लिक्विडिटी: डीमैट अकाउंट्स की मदद से आप कुछ ही सेकंड में आसानी से शेयर्स बेच सकते हैं। यह फिजिकल सेटलमेंट के दौरान संभव नहीं था। आपके ब्रोकर को फिजिकल तरीके से विक्रेता को ढूंढकर सौदा करना पड़ता था। इस प्रक्रिया में कई दिन लग जाते थे! लेकिन डीमैट अकाउंट्स की मदद से आप अपने सिक्योरिटीज को आसानी से बेच सकते हैं और उनके बदले में लोन भी ले सकते हैं। बैंक, इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखे गए सिक्योरिटीज के बदले में आसानी से लोन दे देते हैं।
- लागत-कुशल: कम लागत, डीमैट अकाउंट के कई मुख्य लाभों में से एक है। इससे पहले, निवेशकों को बहुत अधिक स्टाम्प ड्यूटी चार्ज देना पड़ता था। लेकिन अब निवेशकों को शेयर्स ट्रांसफर करने के लिए सिर्फ 015% स्टाम्प ड्यूटी चार्ज देना पड़ता है।
- ट्रांसफर करने में आसानी: डीमैट अकाउंट के कारण, अकाउंट होल्डर की मौत होने पर उसके लाभार्थी को एसेट्स ट्रांसफर करना अब ज्यादा आसान हो गया है। लेकिन यह काम उस समय काफी मुश्किल था जब शेयरों को फिजिकल रूप में रखा जाता था। कानूनी वारिसों को एसेट्स क्लेम करने के लिए विभिन्न कानूनी दांव-पेंचों से गुजरना पड़ता था। इससे उन्हें भावनात्मक, शारीरिक और आर्थिक तनाव का सामना करना पड़ता था। लेकिन डीमैट अकाउंट्स के कारण, एसेट्स को कानूनी वारिसों को बिना किसी परेशानी के ट्रांसफर किया जा सकता है।
- 'ओड लॉट्स' की समस्या नहीं: डीमैट अकाउंट्स से पहले, शेयरों को आम तौर पर लॉट में ट्रेड किया जाता था। इसलिए, आप सिंगल शेयरों को खरीद या बेच नहीं सकते थे। उदाहरण के लिए: यदि आप इनफ़ोसिस का 1 शेयर खरीदना चाहते थे तो आप अपने डीमैट अकाउंट का इस्तेमाल करके आज इसे आसानी से खरीद सकते हैं। लेकिन 1996 से पहले, आपको या तो पूरा लॉट खरीदना पड़ता था या कुछ नहीं!
- वांडा (ख़राब) ट्रेड्स का समापन: फिजिकल शेयर ट्रेडिंग में बहुत ज्यादा मैनुअल काम करना पड़ता था। इसके परिणामस्वरूप मैनुअल गलतियाँ भी हो जाती थीं जिन्हें वांडा ट्रेड्स के नाम से जाना जाता था। वांडा ट्रेड्स का समापन, डीमैट अकाउंट के सबसे बड़े लाभों में से एक है।
- एक जानकारी अपडेट केंद्र: इससे पहले, आपके निवास के पते, फोन नंबर या ईमेल आईडी में परिवर्तन होने पर, आपको कई कंपनियों को सूचित करना पड़ता था। लेकिन डीमैट अकाउंट के कारण, आप एक सेन्ट्रल लोकेशन में अपने नो योर क्लाइंट (KYC) रिकॉर्ड्स को अपडेट कर सकते हैं और वह आपकी सभी स्टॉक होल्डिंग्स में अपडेट हो जाएगा।
- आसान अकाउंटिंग और मैनेजमेंट: डीमैटरियलाइजेशन से पहले, निवेशकों को अपना डीमैट स्टेटमेंट्स का मेल-मिलाप करने में कई घंटे या कई दिन लग जाते थे। टैक्स का हिसाब करना, एक बुरे सपने के समान था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। डीमैट अकाउंट की मदद से, आपका ब्रोकर आपको हर महीने आपका रिकॉनसाइल्ड डीमैट स्टेटमेंट भेज देता है।
क्या आपको डीमैट अकाउंट खोलना चाहिए? – डीमैट अकाउंट के मुख्य नुकसान
- अधिक डीमैट चार्ज: डीमैट अकाउंट का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि डीमैट अकाउंट खोलने और ऑपरेट करने के लिए कुछ पैसे लगते हैं। ट्रेडिशनल ब्रोकर्स सिर्फ एक डीमैट अकाउंट खोलने के लिए 400 रु. तक चार्ज करते हैं। सैमको सिक्योरिटीज जैसे डिस्काउंट ब्रोकर्स मुफ्त में डीमैट अकाउंट खोल देते हैं। इस तरह आपको 400 रु. का तुरंत लाभ मिल जाता है। इसके अलावा, डिस्काउंट ब्रोकर्स, फ़्लैट ब्रोकरेज चार्ज करते हैं जिससे 98% ब्रोकरेज की बचत होती है! अधिक डीमैट चार्ज से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि सैमको सिक्योरिटीज जैसे ब्रोकर्स के साथ फ्री डीमैट अकाउंट खोलना चाहिए। सैमको ने पहले साल का AMC भी माफ़ कर दिया है! इस तरह, आपको मुफ्त में ट्रेडिंग करने का मौका मिल जाता है।
- अधिक चर्निंग या मंथन: डीमैट अकाउंट से पहले इंट्राडे ट्रेडिंग लोकप्रिय नहीं था। निवेशक अक्सर लम्बे समय के लिए शेयर्स खरीदते थे। लेकिन डीमैट अकाउंट के कारण, कई ट्रेडिंग अवसर पैदा हो गए हैं। निवेशक बहुत ज्यादा ट्रेडिंग करने लगे हैं और लम्बे समय के लिए निवेश पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इस समस्या से निपटने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि निवेश किए जाने योग्य पैसे को ट्रेडिंग और निवेश में बाँट देना चाहिए।
- टेक्नोलॉजी में माहिर: डीमैट अकाउंट्स के आ जाने से ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग में क्रांति आ गई है। ब्रोकर के ऑफिस की जगह कंप्यूटर ने ले ली है। इंटरनेट कनेक्शन और मोबाइल से लैस हर कोई ट्रेडिंग करने लगा है। लेकिन जो निवेशक, टेक्नोलॉजी में माहिर नहीं हैं, उन्हें तकलीफ उठानी पड़ी है। सौभाग्य की बात है कि सैमको सिक्योरिटीज जैसे ब्रोकर्स, हाई टेक ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करते हैं जो यूज़र-फ्रेंडली होते हैं। हर चीज की तरह, डीमैट अकाउंट के भी नुकसान हैं। लेकिन सौभाग्य की बात है कि डीमैट अकाउंट के लाभ, उसके नुकसान से कहीं अधिक हैं। इसलिए, प्रत्येक निवेशक को एक डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलना चाहिए। लेकिन डीमैट अकाउंट कैसे खोला जाता है? डीमैट अकाउंट खोलने के लिए किन-किन दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है? और सबसे जरूरी बात, कौन, डीमैट अकाउंट खोल सकता है? आइये पता करते हैं।
कौन, डीमैट अकाउंट खोल सकता है?
18 वर्ष से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति, डीमैट अकाउंट खोल सकता है। यहाँ तक कि भारतीय मूल का व्यक्ति (PIO) भी डीमैट अकाउंट खोल सकता है जो वर्तमान में किसी अन्य देश का नागरिक है जिसमें पाकिस्तान और बांग्लादेश शामिल नहीं है। इसके अलावा, यहाँ तक कि एक हिन्दू अभिवाजित परिवार (HUF), और घरेलू भारतीय कंपनियां भी डीमैट अकाउंट खोल सकती हैं। HUF के मामले में, सबसे अधिक उम्र के पुरुष सदस्य या कर्ता के नाम से डीमैट अकाउंट खोला जा सकता है।डीमैट अकाउंट कैसे खोला जाता है? – 2022 में डीमैट अकाउंट कैसे खोला जाता है उस पर एक स्टेप-बाय-स्टेप गाइड
- आपका ब्रोकर, SEBI के साथ रजिस्टर्ड होना चाहिए।
- आपका ब्रोकर, मुफ्त में डीमैट अकाउंट खोल रहा होना चाहिए।
- आपके ब्रोकर के पास पर्याप्त पूँजी होनी चाहिए।
- आपका ब्रोकर, 99.99% अपटाइम वाला हाई टेक ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म प्रदान कर रहा होना चाहिए।
- आपका ब्रोकर, मिनिमम मार्जिन के बदले हाई लेवरेज दे रहा होना चाहिए।
[ और पढ़ें: प्रभावी डीमैट खाते के लिए क्या करें और क्या न करें ]
- पैन कार्ड - आप एक वैध पैन कार्ड के बिना डीमैट अकाउंट नहीं खोल पाएंगे।
- फोटोग्राफ
- पता का प्रमाण - आधार कार्ड, पासपोर्ट, वोटर कार्ड, हालिया बिजली या टेलीफोन बिल।
- बैंक अकाउंट का प्रमाण - कैंसल्ड चेक या पासबुक का पहला पेज।
- आय का प्रमाण - ITR फॉर्म 16, डीमैट स्टेटमेंट
- हस्ताक्षर
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